NOT KNOWN FACTUAL STATEMENTS ABOUT BAGLAMUKHI SADHNA

Not known Factual Statements About baglamukhi sadhna

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देवी को कागज या प्लास्टिक आदि के बनावटी तथा सजावटी पुष्प अर्पित नहीं किये जाते; अपितु उन्हें नवीन (ताजे) और सात्विक पुष्प चढाएं । देवी को चढाए जाने वाले पत्र-पुष्प न सूंघें। देवी को पुष्प चढाने से पूर्व पत्र (पत्ते) चढाएं। विशिष्ट देवी-देवता को उनका तत्त्व अधिक मात्रा में आकर्षित करने वाले विशिष्ट पत्र-पुष्प चढाएं जाते हैं। अत: माँ बगलामुखी पर पीले पुष्प अर्पण किये जाते हैं।

भगवती का यह कवच शत्रु के विद्वेषण, आकर्षण, उच्चाटन, मारण तथा स्तम्भन आदि प्रयोगों से भक्त को मुक्ति दिलवाता है।

“स्वतन्त्र तन्त्र’ में भगवान् शङ्कर, पार्वती जी से कहते हैं कि ‘हे देवि! श्रीबगला विद्या के आविर्भाव को कहता हूँ। पहले कृत-युग में सारे जगत् का नाश करनेवाला वात-क्षोभ (तूफान) उपस्थित हुआ। उसे देखकर जगत् की रक्षा में नियुक्त भगवान् विष्णु चिन्ता-परायण हुए। उन्होंने सौराष्ट्र देश में ‘हरिद्रा सरोवर’ के समीप तपस्या कर श्रीमहा-त्रिपुर-सुन्दरी भगवती को प्रसन्न किया। श्री श्रीविद्या ने ही बगला-रूप से प्रकट होकर समस्त तूफान को निवृत्त किया। त्रैलोक्य-स्तम्भिनी ब्रह्मास्त्र बगला महा-विद्या श्री श्रीविद्या एवं वैष्णव-तेज से युक्त हुई।

Her devotees are dressed in yellow, dress in mala strings of turmeric (Haldi) and give her yellow factors. Even her temples are painted yellow. Brilliant yellow is usually affiliated with Sunshine and gold.

As outlined by A further perception, the looks on the goddess is related to Lord Vishnu. Consequently, the goddess is endowed with sattva traits and belongs to the Vaishnava sect. But, in Various other situations, the goddess is likewise related to the tamasic good quality.

सभी साधकों को साधना में अलग अलग अनुभव होते हैं।

Goddess Bagalamukhi will be the eighth Mahavidya away from ten Mahavidyas. She could be the goddess of immense electricity and it is worshipped to achieve victory over enemies, arguments and so forth.

इ. आचमनी से जल चढ़ाकर सुगंधित द्रव्य-मिश्रित जल से स्नान करवाएं ।

इस प्रकार स्पष्ट होता है कि ‘स्वतन्त्र तन्त्र’ में उल्लिखित कथा और ‘कृष्ण यजुर्वेद’ के दोनों मन्त्रों में कथित श्रीबगला-तत्त्व अभिन्न हैं।

मेरे पास ऐसे बहुत से लोगों के फोन और मेल आते हैं जो एक क्षण में ही अपने दुखों, कष्टों का त्राण करने के लिए साधना सम्पन्न करना चाहते हैं। उनका उद्देष्य देवता या देवी की उपासना नहीं, उनकी प्रसन्नता नहीं बल्कि उनका एक मात्र उद्देष्य अपनी समस्या से विमुक्त होना होता है। वे लोग नहीं जानते कि जो कष्ट वे उठा रहे हैं, वे अपने पूर्व जन्मों में किये गये पापों के फलस्वरूप उठा रहे हैं। वे लोग अपनी कुण्डली में स्थित ग्रहों को देाष देते हैं, जो कि बिल्कुल गलत परम्परा है। भगवान शिव ने सभी ग्रहों को यह अधिकार दिया है कि वे जातक को इस जीवन में ऐसा निखार दें कि उसके साथ पूर्वजन्मों का कोई भी दोष न रह जाए। इसका लाभ यह होगा कि यदि जातक के साथ कर्मबन्धन शेष नहीं है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी। लेकिन हम इस दण्ड को दण्ड न मानकर ग्रहों का दोष मानते हैं।व्यहार में यह भी आया है कि जो जितनी अधिक साधना, पूजा-पाठ या उपासना करता है, वह व्यक्ति ज्यादा परेशान रहता है। उसका कारण यह है कि जब हम कोई भी उपासना या साधना करना आरम्भ करते हैं तो सम्बन्धित देवी – देवता यह चाहता है कि हम मंत्र जप के द्वारा या अन्य किसी भी मार्ग से बिल्कुल ऐसे साफ-सुुथरे हो जाएं कि हमारे साथ कर्मबन्धन का कोई भी भाग शेष न रह जाए।

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वाग् वै देवानां मनोता तस्यां हि तेषां मनांसि ओतानि

अर्थात् : जिसने ज्ञान-विज्ञान की प्राप्ति होती है और पाप-समूह नष्ट get more info होते हैं ऐसे सद्-गुरू के मुख से प्राप्त ‘मत्रं ग्रहण को दीक्षा कहते है।

Each individual one of the individuals as well as the divine beings appealed to Goddess Baglamukhi who hauled out the tongue on the evil existence to At the moment it.

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